आन्दोलन के दौरान.........................




कल आन्दोलन के दौरान पैर में गंभीर चोट लगने के कारण प्लास्टर लगवाना पड़ा हालत ऐसी के चलना फिरना भी मुहाल हो गया है किन्तु पैर से ज्यादा दर्द मन और मष्तिष्क में है की आज संसद मार्ग (दिल्ली) पर हो रहे आन्दोलन का हिस्सा नहीं बन पाया...आज सुबह ०६:०० बजे बवाना की अस्थाई जेल से जब एक मित्र का फ़ोन आया तो दर्द और बढ़ गया उन्होंने बताया की कल रात हमारे कुछ साथियों को पुलिस ने भीड़ से अलग कर बहुत बर्बरता से पीटा...क्यूँ इस देश की पुलिस इतनी नपुंसक हो गयी है जो निहत्थे और शान्ति पूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर रात में भीड़ से अलग कर लाठी भांजी गई लेकिन हमारे एक भी भाई ने पुलिस पर हाथ नहीं उठाया और चुप चाप मार खा कर लोट आये...पुलिस की नपुंसकता का एक नजारा तब देखने को मिला जब वो सारे पुलिस कर्मी जिन्होंने ये गिरी हुई और घिनोनी हरकत की वहाँ से गायब हो गए...हमारे कुछ साथी उन्हें सबक सिखाने नहीं उन सरकारी वफादारों से ये बोलने गए थे के भाई हम भी पिटने आये हैं और तुम जितनी देर चाहो हमें भी मार सकते हो...सलाम है उन् भाइयों को जिन्होंने दूसरी आज़ादी की लड़ाई में पुलिस के डंडे खाए और फिर भी "भगत सिंह" की तरह "वन्देमातरम" का उद्घोष करते रहे...

ऐसा नहीं है के हम ने हाथ मे चूड़ियां पहन रखी है और हम उन की इस बर्बरता का मुंह तोड़ जवाब देना नहीं जानते किन्तु हमें हमेशा ये सिखाया जाता रहा है के वीर कभी """"शिखंडियों"""" पर हाथ नहीं उठाते...

पी.एस.
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